Unveiling unseen places

Day 1

रहे ना रहे हम महका करेंगे

बन के काली बन के सबा बागे वफ़ा में ………

के जी फार्म, प्रकृति के रंग रूप में मनःशांति मिली। जो  अद्भुत थी।

Day 2

ये तेरा घर ये मेरा घर किसी को देखना हो अगर,

तो पहले आके देखले ढोलकिया परिवार का घर

ढोलकिया परिवार के आदरातिथ्य ने मन प्रफुल्लित हुआ

| गोविंदभाई जी ने जो परिवार में संस्कारों के बीज़ बोए हैं, इसके कारण उनकी छत्र छाया में नए पौधे भी निखरने लगे हैं | उनके परिवार का एक दूसरे के प्रति स्नेह भाव, करुणा और वात्सल्य देखने जैसा था |

हम समाज में रहते हैं ,उससे जितना लेते हैं, उससे अधिक ही हमें समाज को लौटाना भी हैं | सिर्फ़ लेने की भावना नहीं बल्कि देने का भाव भी रखना हैं |

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