हैपीनेस का सफर

हैपीनेस का सफर आगे बढ़ा और नए अनुभव मिलने लगे,

ज़िंदगी को कैसे जियें, वो मकसद दिखने लगे |

गुरु की वाणी ने हमें खुद से प्यार करना सिखाया,

स्वयं के साथ बैठ कर, स्वयं की पहचान करना सिखाया,
गर खुद से प्यार नहीं करोगे, तो क्या कोई और तुमको दे पायेगा,
और कोई तुम्हारे लिए क्या करेगा, जो तू अपनी आंतरिक ख़ुशी के लिए कर पायेगा |

दूसरों के नज़रिये से खुद को मत जानो तुम,

अपने सद्गुणों को परखो और निडरता से आगे बढ़ जाओ तुम |

रख गुरु पर भरोसा और कर्म करते जा,

सफलता तुमको मिलेगी, कठिनाइयों से तू लड़ते जा |

सकारात्मक मेरे विचार हुए, सुदर्शन क्रिया करने से,

नयी ऊर्जा मुझमें प्रवाहित हुयी, ॐ का उच्चारण करने से |

इस बात ने मुझे सोचने पर मजबूर किया……………..,

कि क्रोध उस पर करते हैं , जिससे सबसे अधिक प्यार करने का दम हम भरते हैं,

अपेक्षाएं भी उस पर लादी जाती हैं, जिसकी परवाह हम अधिक करते हैं |

अगर इन त्रुटियों से रहना है दूर, तो नित्य तुम ध्यान करो,

रिश्तों का सही अर्थ समझो, अपने जीवन को साकार करो |

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