Critical Thinking – “ये सफ़र बहुत है कठिन मगर ना उदास हो मेरे हमसफ़र … “
Critical Thinking अंतिम अध्याय
आज का Critical thinking का विषय बहुत ही क्लिष्ट था | धर्म, आत्मा, मोक्ष, प्रार्थना,ईश्वर ………ये विषय ही ऐसे हैं , जितना सोचेंगे अर्थ गहन बनते जाएँगे |
मुझे जो महाभारत में धर्म की परिभाषा मिली वो बेहद सटीक लगी |
स्वकर्मनिरतो यस्तु धर्म: स इति निश्चय:।[3] अपने कर्म में लगे रहना निश्चय ही धर्म है।
कोई धर्म गलत नहीं है , मानवता श्रेष्ठ धर्म है ,उसका सही आचरण ही धर्म है |
इसलिए critical thinking अपने निजी जीवन में अपनाते समय थोड़ी कठिनाइयाँ जरूर आएगी, पर इसका इस्तेमाल कर के क्या सही और क्या गलत इसका उचित फैसला निश्चित ही कर सकते हैं |
“ये सफ़र बहुत है कठिन मगर ना उदास हो मेरे हमसफ़र … ”
अध्याय समाप्त !!
(अध्याय समाप्त हुआ है ज्ञान नहीं वह तो निरंतन बहता रहेगा | )