Critical thinking – My journey

Critical thinking

यह सफ़र शुरु होते – होते अब अंतिम किनारे कब आ पहुँचा  पता भी नहीं चला |

बहुत सारा रिसर्च किया , अपने अनुभव ,गलतियाँ बे झिझक बताई | समस्याओं को अलग नजरियें से देखना सीखा | सिखने के लिए बहुत कुछ हैं बस हमारी सिखने की अभिलाषा होनी चाहिए | मनुष्य समाज का अहं हिस्सा है | सामाजिक जीवन में जो घटनाएँ चल रही है या होगी उसका कहीं न कहीं असर तो होता ही हैं | इस Critical thinking से मुझे जो लाभ मिला हैं ,उसके कारण मैं जागरुक एवं सतर्क रहकर सभी पहलूओं को जाँचें बिना कोई विधान नहीं करूँगी ऐसा दृढ़ निश्चय मैं कर पाई | इस Life class के कारण जिनके साथ कभी कार्य नहीं किए थे उनके साथ रुबरु चर्चा करने का एक सुनहरा मौका मिला |

अमन सर और श्रद्धा महोदया जी ने बहुत ही अच्छे से इसका संकलन किया | जरुरत के अनुसार अपने अनुभव भी हमसे साँझा किए |

 

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