अत्याधिक सोच या गहन सोच ?
‘अत्याधिक सोच हानिकारक है लेकिन गहन सोच इलाज है’ – अमोल
‘Critical thinking’ सभी कौशल में सब से demanding कौशल है। पहले मेरी सोच थी कि गहन सोच हमेशा ‘आलोचनात्मक’ होती है। लेकिन जब मैंने यह वर्कशॉप अटेंड किया मैंने सीखा कि यह हमें कोई भी चीजों के दोनों पहलुओं को गौर से जांचने का अवसर प्रदान करती है और हमें सिखाती है कि कोई भी निर्णय लेने से पहले उसे कैसे जाँचा या परखा जा सकता है। इससे हमारी सोच बहुत गहन और अर्थपूर्ण होती है। हम इस कौशल का प्रयोग करके अपनी निजी जीवन में काफ़ी बदलाव ला सकते है और तो और हमारा नजरिया भी बदल सकता है। ‘murder my darling’ गतिविधि थी जहाँ पर मैंने अपने विचारों के सामने अपने अन्य विचारों की सेना युद्ध के लिए तैयार की और फिर महसूस किया कि जो हम देखते है या जानते है चीजे इतनी ही नहीं होती। कभी कभी अपनी सोच से ऊपर उठना बहुत आवश्यक होता है। मुझे यह अवसर प्रदान करने के लिए शुक्रिया अमन जी और श्रद्धा जी। आपने डिजिटल सेट अप में भी इस वर्कशॉप को उतना ही रसप्रद बनाए रखा जितना भौतिक सेट आप में होता है। समूह के सभी लोगोने अपने अनुभव सक्रियरूप से साझा किए जिससे सोच और गहन होती गई और वास्तविक जीवन के अनुभवों से बहुत कुछ सीखने मिला। इस प्रक्रिया के लिए अपने मन को पूर्वाग्रह मुक्त बनाकर सोचने की आवश्यकता होती है और जिसके लिए हम अपने मन को खुला रककर अपने आपसे क्यों, कैसे और क्या(inquiry questions) के जवाब दे सके और अपने तर्क को और मजबूती प्रदान कर सके। हमने अलग-अलग bias के बारेमे जानकारी हांसिल की जिससे हमने अपनी निजी जीवन में लिए निर्णय और अनुवभावों से सीखा कि कहाँ हमने कैसे bias का अनुशरण किया था। मेरे लिए यह अनुभव कोई रोमांच से काम नहीं रहा। आप सभीका धन्यवाद !