जीना इसी का नाम है।
ज़िन्दगी छोटी है , हर हाल में खुश रहो।
काम में हो या आराम में, खुश रहो।
आज पनीर नहीं तो दाल में खुश रहो।
गाड़ी नहीं तो पैदल खुश रहो।
कोई नाराज़ हो तो उसीके अंदाज़ में खुश रहो।
कोई पास नहीं तो उसकी याद में खुश रहो।
बीते हुए कल की बातें भूल कर
आजकी नई शुरुआत में खुश रहो।
सुनो सब की, करो मन की,
इसी अंदाज़ को अपना के खुश रहो।
ज़िन्दगी तुम्हारी है, तरीका भी तुम्हारा।
इसी मनमानी में खुश रहो।
हर दिन नया दर्द, नई कठिनाई तो आएगी ही।
इन कठिनाइयों के चक्रवात में खुश रहो।
माना कठिनाइयों में मुस्कुराना नहीं आसान है।
हर पल में खुश रहो क्योंकि, जीना इसी का नाम है।
रीटा हासानी:-