Reflection of Chapters 4 TO 8 of RICH DAD AND POOR DAD.

लेखक का कहना है कि वास्तव में लोग सम्पति और जिम्मेदारी के अंतर को नहीं समझते। वे दुनिया की भीड़चाल में वही वस्तुएं एकत्र करते हैं जो उन्हें सम्पति दिखाई देती हैं लेकिन होती हैं जिम्मेदारी। लेखक के अनुसार वित्तीय रूप से शिक्षित होने के लिए इस अंतर को समझना अति आवश्यक है। उन्होंने बताया कि सम्पति वही है जो आपकी आय का जरिया बने। अमीर होने की कोई सीमा नहीं, लेकिन जब आपकी सम्पति से इतनी आय होने लगे कि आपकी मूल जरूरतें पूरी कर सके तो आप वास्तव में अमीर हैं। अक्सर अचानक मिला धन इंसान संभाल नहीं पाता क्योंकि वह वित्तीय रूप से शिक्षित नहीं होता। उन्होंने कई ऐसे उदाहरण दिए हैं, मुझे यहाँ पुराने फिल्म अभिनेता भरत भूषण का उदाहरण याद आया जो अपने अंतिम समय में गरीबी के दौर से गुजरे। कई लोग विलास वस्तुओं (luxuries) को अपनी सम्पति समझने की भूल करते हैं। लेखक के अनुसार लोन लेकर ऐसी वस्तुओं का संग्रह करना मूर्खता है। समझदारी है यदि आपकी सम्पति आपके लिए इन वस्तुओं को खरीदने की क्षमता पैदा कर सके। आप अपने व्यवसाय के अतिरिक्त अपने लिए ऐसी सम्पति खड़ी करें जो आपको अतिरिक्त आय दे सके।

पाँचवे अध्याय में लेखक ने कर लेने के इतिहास पर प्रकाश डाला है। अमेरिका और ब्रिटैन में राजा या सरकार युद्ध के दौरान मदद हेतु अमीरों से कर लेते थे। धीरे धीरे कर लेने की प्रथा कायम हो गयी और अब कर देना हर नागरिक की जिम्मेदारी बन गई। यहाँ उन्होंने बताया कि इंसान अपनी नौकरी करते हुए भी बचत करके ऐसी सम्पति का उत्पादन करने का प्रयास कर सकता है जो उसकी आय में वृद्धि करे। इसके लिए वह कोई उद्योग कर सकता है। यहाँ एक और बात समझाई गई है कि व्यक्तिगत व्यवसाय से बेहतर है कॉर्पोरेट व्यवसाय क्योंकि इन व्यवसाय के लिए कर की दरें कम होती हैं। अमीर होने के लिए या वित्तीय साक्षरता के लिए वयक्ति को चार कुशलताओं की जरुरत है, अकाउंट की समझ , निवेश करने की समझ, बाजार और कर के लिए बने कानून की जानकारी। जिसके पास ये जानकारी है वह समय पर सही फैसला लेने में सक्षम होता है।

लेखक के अनुसार किसी एक कौशल में श्रेष्ठ होने से बेहतर है कि आप विभिन्न कौशल की जानकारी रखते हों, जिससे समय पड़ने पर आप विभिन्न रास्तों में से अपने लिए सही रास्ते का चुनाव कर सकें। उन्होंने नेतृत्व करने की कुशलता का महत्व भी बताया है। लेखक का कहना है कि व्यक्ति जितनी कम उम्र से सम्पति गठन के लिए काम करना शुरू कर दे उतना ही वह ज्यादा सफल हो सकता है और यदि उसे असफलता का सामना करना पड़े तो भी उसके पास संभलने और पुनः प्रयास करने का अवसर होता है। Best Writer – Best Seller के बीच का अंतर बताते हुए उन्होंने बहुत ही कुशलता के साथ यह समझाया है कि हमें अपनी कुशलता या हुनर को बेचना भी आना चाहिए। McDonald अपने साधारण से बने बर्गर को बेच रहा है क्योंकि उसमें व्यवसाय कौशल है।

आगे लेखक ने पाँच ऐसे तथ्यों के बारे में बताया है जो इंसान को सम्पति गठन करने से रोकते हैं।
१. डर :अधिकतर लोग असफल होने या धन खोने से डरते हैं इसलिए कोई जोखिम उठाना नहीं चाहते। असफलता ही सफल होने की पहली सीढ़ी होती है, असफलता हमें कुछ न कुछ सीख देती है और फिर से कोशिश करने की और जीतने की चुनौती भी। अमीर इसे चुनौती समझते हैं जबकि गरीब हार मान कर अपने कदम पीछे ले लेते हैं।
२. संदेह : किसी नए कार्य के प्रति सफलता को लेकर हम हमेशा संदेह करते हैं और उस पर यदि कोई और नकारात्मक बात कह दे तो बिलकुल मान लेते हैं कि असफलता निश्चय ही होगी और कोई कदम उठाने से पहले ही रुक जाते हैं।
३. आलस : हम अपने आपको इतना वयस्त रखते हैं कि जरूरी काम के लिए हमारे पास वक्त ही नहीं होता। वास्तव में ये हमारा आलस होता है।
४. बुरी आदतें : हम अपनी आय से सभी बिल का भुगतान करते हैं पर खुद के लिए आखिर में सोचते हैं। लेखक के अनुसार हमें सबसे पहले अपने लिए भुगतान करना चाहिए क्योंकि दूसरों को भुगतान करने के लिए अपनी आय बढाने की प्रेरणा हमें वहीँ से मिलेगी।
५. अभिमान : हम अपनी कमियों को छुपाने का प्रयास करते रहते हैं और समझते हैं जो हमें नहीं आता वो सीखना इतना जरुरी भी नहीं है।

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